रोहित भट्ट/अल्मोड़ा. भारत देश की आजादी के लिए हर किसी ने अपनी जान निछावर की है. चाहे वो 1947 से पहले हो या फिर अब के समय की बात हो. हम आपको ऐसी जेल की कहानी का इतिहास बताने वाले हैं जिसमें स्वतंत्रता के तमाम वह जननायको को बंदी बनाकर रखा गया था.
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में साल 1872 में अंग्रेजों के द्वारा यहां पर जेल स्थापित की थी. ये जेल ऐतिहासिक जेलों में गिनी जाती है. अल्मोड़ा की जेल की दीवार और छत से लेकर इसका एक-एक कोना स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कहानी को बयां करता है. वर्तमान में ये जेल 151 साल पूरे कर चुकी हैं. इस जेल में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सजा काट चुके हैं इसके अलावा कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और जननायकों को यहां पर रखा गया था जिसमें पंडित गोविंद बल्लभ पंत, खान अब्दुल गफ्फार खा, देवी दत्त पंत, आचार्य नरेंद्र देव, बद्री दत्त पांडे, हर गोविंद पंत, विक्टर मोहन जोशी, सैयद अली जहीर और दुर्गा सिंह रावत समेत आने को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यहां सजा काट चुके हैं.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों कि यादें होती है ताजा
जेल अधीक्षक जयंत पांगती ने बताया अल्मोड़ा की जेल ऐतिहासिक जेल है. ये जेल अभी भी अपने पुराने स्वरूप में है और यह 151 साल अपने पूरे कर चुकी है. जेल की छत, पत्थर और दीवारें आज भी वैसे के वैसे ही हैं. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और जननायकों कि यहां पर यादें आज भी ताजा हो जाती हैं. यहां पर 476 जननायक के बारे में जेल में अंकित है. ये जेल काफी पुरानी है और इस जेल में 102 क्षमता तक कैदी आ सकते हैं पर वर्तमान में 380 कैदी रह रहे हैं. इसके लिए शासन स्तर को पत्र लिखे जा चुके हैं की जेल का पूर्ण निर्माण कराया जाए.
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FIRST PUBLISHED : August 12, 2023, 13:38 IST